भारत का डिफेंस सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। FY 2023-24 में डिफेंस प्रोडक्शन ने रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया, जबकि एक्सपोर्ट 21,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। सरकार ने 92% नए ठेके घरेलू कंपनियों को दिए हैं, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिल रहा है। इसी सेक्टर में काम करने वाली कंपनी Astra Microwave Products Ltd. के शेयर्स ने 1,094.25 रुपये पर क्लोज किया, जो पिछले क्लोजिंग प्राइस से 0.91% कम है।

Astra Microwave का बिजनेस मॉडल
Astra Microwave रेडियो फ्रीक्वेंसी और माइक्रोवेव सिस्टम्स के सब-असेंबली कॉम्पोनेंट्स बनाती है। इसका ज्यादातर बिज़नेस डिफेंस (80.6%), स्पेस (5.6%), मौसम विज्ञान (2.3%) और एक्सपोर्ट (10.5%) पर निर्भर है। कंपनी के बड़े क्लाइंट्स में भारतीय रक्षा मंत्रालय, DRDO, ISRO, HAL, BEL और ग्लोबल प्लेयर्स जैसे Rafael, Thales, Raytheon शामिल हैं।
FY26 का लक्ष्य
Astra Microwave ने FY26 के लिए 1,200-1,300 करोड़ रुपये के रेवेन्यू का टार्गेट रखा है। कंपनी के डायरेक्टर अतिम काबरा के मुताबिक, इस साल 1,300-1,400 करोड़ रुपये के नए ऑर्डर्स मिलने की उम्मीद है। Q4 FY25 में कंपनी को ₹420 करोड़ के नए ऑर्डर्स मिले, जिनमें से ज्यादातर डिफेंस सेक्टर (351.8 करोड़ रुपये) से थे।
ऑर्डर बुक का हाल
31 मार्च 2025 तक, Astra Microwave का टोटल ऑर्डर बुक 1,952 करोड़ रुपये का है, जिसमें से:
- डिफेंस/पब्लिक सेक्टर: 69%
- स्पेस: 12%
- मौसम विज्ञान: 10%
- एक्सपोर्ट: 9%
कंपनी ने पिछले कुछ सालों में रडार इलेक्ट्रॉनिक्स, मिसाइल सिस्टम्स और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
क्या है भविष्य की रणनीति?
- डिफेंस सेक्टर में बढ़ती मांग: भारत सरकार लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है।
- स्पेस सेक्टर का विस्तार: ISRO और प्राइवेट स्पेस कंपनियों के साथ नए प्रोजेक्ट्स।
- ग्लोबल एक्सपोर्ट्स: राफेल, थेल्स जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप।
किन बातों का रखें ध्यान?
- सरकारी ऑर्डर्स पर निर्भरता: अगर डिफेंस बजट कटता है, तो असर पड़ सकता है।
- कॉम्पिटिशन: BEL, L&T जैसी बड़ी कंपनियां भी इसी सेक्टर में सक्रिय हैं।
- प्रोडक्शन डिले: अगर ऑर्डर समय पर पूरे नहीं होते, तो रेवेन्यू प्रभावित हो सकता है।
निष्कर्ष
Astra Microwave का मजबूत ऑर्डर बुक, सरकारी सपोर्ट और ग्लोबल क्लाइंट्स इसे एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बनाते हैं। हालांकि, शेयर प्राइस में शॉर्ट-टर्म वोलेटिलिटी हो सकती है। अगर कंपनी अपने FY26 टार्गेट्स को हिट करती है, तो लॉन्ग-टर्म ग्रोथ की संभावना मजबूत है।